Sahaz Avtar Mahraz Darshan Das ji composed a prayer, which is called Arjoi in Das Dharam.
The Arjoi glorifies the divine Lord’s name.
धन नानक
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
अरजोई निराधार,
हे दाता,
पहली उपमा तेरी दाता,
दूजी तेरी खुदाई।
तीजी तेरी ओट आसरा,
चौथी रहनुमाई।
पंच घरों सो तेरा मान,
पंचम सांझ जगाई।
मैं नीच तेरे दास को दासा,
धन नानक सब तेरी वडियाई।
नानक जोत निरंजन बण आई
प्रभ दर्शन अगम रूप कहाई
चड़विन्दा दास तिसकी शरणाई
तन, मन, धन सब भेंट चढ़ाई।
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
पूर्ण ईश्वर स्वरूप होते हुए भी सहज अवतार महाराज दर्शन दास जी ने अपने रूहानी रूप पर पर्दा डालते हुए अपने आपको ‘नीच’ ‘दासों का दास’ ही कहा और ‘धन नानक सब तेरी वडियाई’ तक अरजोई रची लेकिन उनके परम सेवक व दास धर्म की दूसरी पातशाही महाराज चड़विन्दादास जी ने उनके प्रकाशमय रूहानी रूप को दर्शाते वाणी में फर्माया तथा अरजोई को आगे बढ़ाया :-
नानक जोत निरंजन बण आई
प्रभ दर्शन अगम रूप कहाई
चड़विन्दादास तिसकी शरणाई
तन, मन, धन सब भेंट चढ़ाई।
Mahraz Ji performing Arjoi
His Holiness Huzur Mahraz Darshan Das Ji, iterates that devotees of “Das Dharama”, should perform the Arjoi at the start of each morning.
Arjoi channels flow of torrential blessings from the divine Lord. The Arjoi prayer rises from the humble and yearning heart of the devotee, who in total submission and surrender, places the prayer Arjoi at the divine Lotus feet of the Lord. A sincere Arjoi prayer emanating from the heart of a devotee of Das Dharam cannot go unheard.
Our reconstructed Arjoi
The concept of “Das Dharam” uplifts its followers on social and spiritual front, and also creates awareness about one’s social duties and responsibilities towards one’s country. It is against the evils of dowry in marriage, and prohibits the use of drugs and toxic substances. It preaches for the reverence towards all religions.
Huzur Ji said that, by enchanting, “Nanak Naam Chardi Kala, Tere Bhane Sarbat Da Bhala.” as the Greeting Message, and meditating between 2 P.M. to 2:15 P.M. everyday, a person shall get all his mundane needs fulfilled, and he shall never experience any dearth whatsoever.